Vivah panchami 2024: 5 या 6 दिसंबर, कब है विवाह पंचमी? यहां पढ़ें शुभ मूहुर्त और पूजा विधि
मार्गशीर्ष माह में विवाह पंचमी मनाई जाती है। विवाह पंचमी के दिन राम जी और माता सीता की पूजा करने से पति-पत्नी के रिश्ते मजबूत होते हैं। इस वर्ष विवाह पंचमी की डेट (Vivah panchami 2024 Date) को लेकर लोगों में असमंजस की स्थिति बन रही है। चलिए इस लेख में हम आपको बताएंगे कि विवाह पंचमी की सही डेट।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। मार्गशीष माह में कई त्योहार मनाए जाते हैं। इनमें विवाह पंचमी का पर्व भी शामिल है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, मार्गशीष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम और मां सीता का विवाह हुआ था। इसलिए इस तिथि पर हर वर्ष विवाह पंचमी मनाई जाती है। इस शुभ तिथि पर भगवान राम और मां सीता की जातक विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करते हैं। साथ ही शुभ फल की प्राप्ति के लिए व्रत करते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस कार्य को करने से साधक को विशेष फल की प्राप्ति होती है और घर में सुख-शांति का वास रहता है। इसके अलावा इस दिन श्रीराम विवाह का आयोजन भी किया जाता है, जिससे जीवन खुशहाल होता है। चलिए इस आर्टिकल में जानते हैं विवाह पंचमी (Vivah panchami 2024) की डेट, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में।
विवाह पंचमी 2024 शुभ मुहूर्त (Vivah panchami 2024 Shubh Muhurat)
पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 05 दिसंबर को दोपहर 12 बजकर 49 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन यानी 06 दिसंबर को दोपहर 12 बजकर 07 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में 06 दिसंबर (Kab Hai Vivah panchami 2024) को विवाह पंचमी मनाई जाएगी। इस दिन भगवान श्रीराम और मां सीता की शादी की वर्षगाँठ मनाई जाती है।
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ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 05 बजकर 12 मिनट से 06 बजकर 06 मिनट तक
विजय मुहूर्त - दोपहर 01 बजकर 56 मिनट से 02 बजकर 38 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त - शाम 05 बजकर 21 मिनट से 05 बजकर 49 मिनट तक
अमृत काल- सुबह 06 बजकर 38 मिनट से 08 बजकर 12 मिनट तक
विवाह पंचमी पूजा विधि (Vivah panchami Puja Vidhi)
- सुबह स्नान करने के बाद मंदिर की साफ-सफाई करें। इसके बाद सूर्य देव को अर्घ्य दें।
- घर और मंदिर को गंगाजल का छिड़काव कर शुद्ध करें।
- चौकी पर साफ कपड़ा बिछाकर भगवान श्रीराम और माता सीता की मूर्ति को स्थापित करें।
- अब उन्हें सुंदर वस्त्रों और आभूषणों से सजाएं।
- फूलमाला अर्पित करें।
- देसी घी का दीपक जलाकर आरती करें और मंत्रों का जप करें।
- व्रत कथा का पाठ करें।
- इसके बाद फल, दूध, दही, मिठाई समेत आदि चीजों का भोग लगाएं। एक बात का विशेष ध्यान रखें कि भोग में तुलसी पत्र अवश्य शामिल करें
- पूजा करने के बाद भजन-कीर्तन करें।
- लोगों में प्रसाद का वितरण करें।
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